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क्या कृष्ण जन्माष्टमी में चावल खा सकते हैं?
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क्या कृष्ण जन्माष्टमी में चावल खा सकते हैं?

जन्माष्टमी व्रत में क्या चावल खाना सही है? जानिए क्या कहती है परंपरा और उपवास की मर्यादा।

जन्माष्टमी में चावल खा सकते हैं, इसके बारे में

जन्माष्टमी पर व्रत के दौरान अधिकांश लोग अनाज, विशेषकर चावल, नहीं खाते। हालांकि कुछ क्षेत्रों में व्रत के उपरांत फलाहार या सामक के चावल खाए जाते हैं, जो व्रत अनुकूल होते हैं। नियम परंपरा अनुसार भिन्न हो सकते हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में...

जन्माष्टमी व्रत: क्या खाएं और क्या न खाएं? चावल और इसके पीछे का विज्ञान

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का पावन पर्व है, जिसे पूरे भारत में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, और मध्यरात्रि में भगवान के जन्म के बाद व्रत खोलते हैं। जन्माष्टमी का व्रत केवल भोजन त्यागने का नाम नहीं है, बल्कि यह आत्म-संयम, शुद्धि और भगवान के प्रति समर्पण का प्रतीक है। व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इसके कुछ नियम हैं, जिनका पालन धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।

क्या कृष्ण जन्माष्टमी में चावल खा सकते हैं? इसके पीछे का कारण

जन्माष्टमी के व्रत में चावल खाना आमतौर पर वर्जित माना जाता है, और इसके पीछे कई धार्मिक व वैज्ञानिक कारण हैं:

धार्मिक कारण

फलाहार की परंपरा: जन्माष्टमी व्रत में अनाज का त्याग कर फलाहार किया जाता है। चावल सहित गेहूं, दालें आदि अन्न की श्रेणी में आते हैं, जिन्हें व्रत में नहीं खाया जाता।

तामसिकता से बचाव: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अन्न तामसिक प्रवृत्ति को बढ़ाता है, जिससे मन में आलस्य और भक्ति में विघ्न उत्पन्न होता है।

एक समय का सात्विक भोजन: कुछ मान्यताओं में केवल एक बार हल्का और सात्विक भोजन करने की परंपरा है।

वैज्ञानिक/आयुर्वेदिक कारण

पाचन पर असर: चावल पचाने में भारी होता है, और व्रत में हल्के, सुपाच्य आहार को प्राथमिकता दी जाती है।

जल प्रतिधारण: चावल में कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो शरीर में जल प्रतिधारण को बढ़ा सकते हैं, जिससे व्रत के दौरान असहजता महसूस हो सकती है।

मौसमी प्रभाव: जन्माष्टमी श्रावण मास में आती है, जब वातावरण नम और आर्द्र होता है। ऐसे मौसम में चावल जैसे भारी पदार्थ पचाना कठिन हो सकता है।

इसलिए, व्रत के दौरान चावल न खाने की परंपरा धार्मिक शुद्धता और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए उपयोगी मानी जाती है।

जन्माष्टमी में क्या खा सकते हैं?

व्रत के दौरान कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है, जो न केवल ऊर्जा प्रदान करते हैं, बल्कि नियमों का पालन भी करते हैं:

फल: सेब, केला, अनार, अंगूर, संतरा, पपीता आदि। फ्रूट चाट बनाकर भी खा सकते हैं। दूध व दुग्ध उत्पाद: दूध, दही, छाछ, पनीर, मखाने की खीर आदि। कंद-मूल और सब्जियाँ: आलू, उबले या सेंधा नमक में बनी सब्ज़ी, टिक्की या चिप्स। शकरकंद, अरबी: उबली या भुनी हुई। व्रत के आटे से बने व्यंजन: कुट्टू, सिंघाड़ा और राजगिरा – इनसे रोटी, पराठे, पूड़ी या हलवा बना सकते हैं। सामक के चावल: यह अनाज नहीं बल्कि घास के बीज होते हैं, जो व्रत में खाए जा सकते हैं। साबूदाना: खिचड़ी, वड़ा या खीर। ड्राई फ्रूट्स: बादाम, काजू, किशमिश, अखरोट, मखाना आदि। पेय पदार्थ: नारियल पानी, नींबू पानी, फल रस, हर्बल चाय, लस्सी। घी और सेंधा नमक: भोजन में शुद्ध घी और सेंधा नमक का उपयोग करें।

जन्माष्टमी में क्या नहीं खा सकते हैं?

जन्माष्टमी के व्रत में कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन पूर्णतः वर्जित होता है:

अनाज (अन्न): चावल, गेहूं, जौ, बाजरा, मक्का, दालें (अरहर, मूंग, चना, मसूर, उड़द), मैदा आदि। ये सभी अनाज की श्रेणी में आते हैं। सामान्य नमक: व्रत में साधारण नमक (आयोडाइज्ड नमक) का प्रयोग वर्जित है। इसकी जगह केवल सेंधा नमक का प्रयोग करें। प्याज और लहसुन: ये तामसिक माने जाते हैं और इनका प्रयोग किसी भी व्रत या पूजा में नहीं किया जाता। हल्दी: कुछ व्रत में हल्दी का प्रयोग भी वर्जित होता है, खासकर जब आप सात्विक भोजन कर रहे हों। मसाले: हींग, धनिया पाउडर, गरम मसाला, लाल मिर्च पाउडर जैसे तेज मसालों का प्रयोग नहीं किया जाता। केवल जीरा, काली मिर्च, अदरक और हरी मिर्च का प्रयोग सीमित मात्रा में कर सकते हैं। मांसाहार और अंडे: किसी भी प्रकार का मांसाहार, अंडे और मछली का सेवन पूर्णतः वर्जित है। शराब और तंबाकू: किसी भी प्रकार का नशा वर्जित है। तले हुए और भारी भोजन: भले ही वो व्रत के अनुकूल सामग्री से बने हों, बहुत अधिक तले हुए और भारी भोजन से बचना चाहिए, क्योंकि वे पाचन को धीमा कर सकते हैं। बासी भोजन: व्रत में हमेशा ताज़ा बना हुआ भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।

निष्कर्ष

जन्माष्टमी का व्रत केवल भोजन का त्याग नहीं, बल्कि भगवान के प्रति आस्था, आत्म-नियंत्रण और शुद्धिकरण का एक माध्यम है। चावल जैसे अनाजों से परहेज करना धार्मिक परंपराओं और आयुर्वेदिक सिद्धांतों दोनों पर आधारित है, जिसका उद्देश्य शरीर और मन को व्रत के दौरान हल्का और ऊर्जावान बनाए रखना है। सही खाद्य पदार्थों का चयन करके आप इस पवित्र पर्व को पूर्ण श्रद्धा और स्वास्थ्य के साथ मना सकते हैं, और भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का पूरा आनंद ले सकते हैं।

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Published by Sri Mandir·August 4, 2025

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